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शाहों का शाह

रिषार्ड कापुश्चिंस्की

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14282
आईएसबीएन :9788126726295

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शाहों का शाह' ईरान में शाह के अन्तिम वर्षों का लेखा-जोखा है।

शाहों का शाह' ईरान में शाह के अन्तिम वर्षों का लेखा-जोखा है। साथ ही ईरान में व्याप्त शाह के अभूतपूर्व भय और दमन का लोमहर्षक वृत्तान्त। अलग और विशिष्ट शैली में लिखी गई यह पुस्तक हमें ईरानी क्रान्ति के साथ-साथ वहाँ की संस्कृति और सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक ताने-बाने के विषय में भी गहन अन्तर्दृष्टि देती है। रिचर्ड कापुसेन्स्की पेशे से भले पत्रकार हों, लेकिन उनकी लेखनी में इतिहासकार, समाजविज्ञानी और कवि—तीनों का पुट रहता है। 'शाहों का शाह' की परिचयात्मक प्रस्तावना लिखने वाले क्रिस्टोफर डि बेलाइग के अनुसार, ''वह इतिहास के अमूर्तनों पर अपने स्वयं के पत्रकारीय पर्यवेक्षणों को प्राथमिकता देते हैं।...वह राष्ट्रों और यहाँ तक कि घटनाओं को भी मानवीकृत स्वरूप में सामने रखते हैं, शैली की नफासत सम्भवत: उन्हें माक्र्सवादी दृष्टिकोण से प्राप्त हुई है जो उन्हें पोलैंड में कभी पढ़ाया गया था।...कुल मिलाकर उनके इतिहास का स्रोत पुस्तकालय नहीं है, वह सड़कों से निकलता है, जहाँ गोलियों की पाश्र्व-ध्वनियों के साये में मनुष्य धूल-धक्कड़ से जूझ रहा होता है।' स्वयं कापुसेन्स्की ने कहीं कहा है कि ''जहाँ तक मुझे लगता है, जनता के विषय में तब तक लिखना ठीक नहीं है जब तक कुछ सीमा तक उसके जीवन को स्वयं भी जीकर समझ न लिया जाए।'' यह पुस्तक ईरान में घटित एक घटना-विशेष के साथ-साथ हमें पत्रकारिता की एक नई शैली से भी परिचित कराती है।

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